भारत देश में कई भाषाएं बोली जाती हैं जिनमें पंजाबी भाषा भी शामिल है। पंजाबी भाषा भारत में बोली जाने वाली सबसे व्यापक भाषाओं में से एक है। परंतु क्या आपको पता है कि जिस प्रकार हिंदी भाषा की लिपि देवनागरी लिपि को कहा जाता है उसी प्रकार पंजाबी भाषा की भी एक अलग लिपि है। कई लोग यह जानना चाहते हैं कि punjabi bhasha ki lipi kya hai?
तो चलिए आज के इस लेख में हम आपको बताते हैं कि punjabi bhasha ki lipi kya hai? साथ ही हम आपको पंजाबी भाषा की लिपि का इतिहास भी बताने का प्रयास करेंगे। यदि आप पंजाबी भाषा की लिपि के बारे में विस्तारपूर्वक जाना चाहते हैं तो इस लेख को जरूर पढ़ें।
पंजाबी भाषा क्या है? (What is Punjabi Language)
पंजाबी भाषा एक हिंदी आर्यन भाषा है। जो पंजाब में रहने वाले निवासियों एवं प्रवासियों द्वारा बोला जाता है। पंजाबी भाषा का उपयोग सबसे अधिक हिंदू, मुस्लिम एवं सिख लोगों द्वारा किया जाता है।
पंजाबी भाषा विश्व की 11वीं सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। भारत एवं पाकिस्तान में पंजाबी भाषा लगभग 10 से 13 करोड़ लोगों द्वारा बोला जाता है। पंजाबी भाषा 300 वर्ष पहले लिखी गई थी जिस का मानक रूप माझी बोली पर आधारित है।
पंजाबी भाषा को कितने प्रकारों में बांटा गया है (Types of Panjabi Language)
पंजाबी भाषा के मुख्य चार प्रकार हैं।
माझी भाषा – इस भाषा का उपयोग ज्यादातर अमृतसर, गुरदासपुर, पठानकोट एवं पाकिस्तान के लोगों द्वारा किया जाता है।
पुआधी भाषा – यह भाषा हरियाणा में सतलुज और घग्गर नदियों के बीच के क्षेत्र में बोली जाती है। इस क्षेत्र को पोवाद क्षेत्र कहा जाता है। इसके अलावा इस भाषा को रोपड़, समराला, कुराली, पायल आदि क्षेत्रों के लोगों द्वारा भी बोला जाता है।
मलवई भाषा – मलवई भाषा का सबसे ज्यादा उपयोग पंजाब के दक्षिण भाग और पाकिस्तान क्षेत्र में किया जाता है। इसके अलावा राजस्थान, लुधियाना, फिरोजपुर, हरियाणा, बरनाला, फतेहाबाद इत्यादि राज्यों में भी मलवई भाषा बोली जाती है।
दुआबे भाषा – दुआबे भाषा दोआबे क्षेत्र में बोली जाती है जोकि सतलुज और व्यास नदियों के बीच है। यहां के लोग इस भाषा को फैसला बादी पंजाबी भाषा भी बोलते हैं। इसके अलावा इस भाषा का उपयोग पाकिस्तान में भी किया जाता है।
पंजाबी भाषा में कितने स्वर होते हैं? (How many Vowels are there in Panjabi Language?)
पंजाबी भाषा में 3 स्वर होते है।
- उच्च स्वर –
यह ऐसे स्वर होते हैं जिन का उच्चारण ऊंची आवाज में किया जाता है और इस स्वर को समझ पाना थोड़ा कठिन होता है।
- मध्यम स्वर –
यह स्वर दो प्रकार के होते हैं -:
तीव्र मध्यम – यह स्वर सबसे अधिक शुद्ध होता है और सबसे तीव्र बोला जाता है जिसके कारण इस स्वर को समझ पाना बहुत कठिन होता है। यह अक्सर ऐसे लोगों द्वारा उपयोग किया जाता है जो प्राचीन समय से ही पंजाबी भाषा बोलते हुए आ रहे हैं।
शुद्ध मध्यम – यह स्वर तीव्र मध्यम की अपेक्षा कम शुद्ध होता है। और मध्यम रूप में बोला जाता है।
- निम्न स्वर –
यह स्वर देवनागरी लिपि पर आधारित होता है। और निम्न स्वर का उच्चारण हिंदी से मिलता जुलता होता है जिसके कारण कोई भी व्यक्ति इस पंजाबी भाषा को समझ सकता है एवं बोल भी सकता है।
पंजाबी भाषा की लिपि क्या है? (punjabi bhasha ki lipi kya hai)
किसी भी भाषा को लिखते समय किसी एक लिखावट का उपयोग किया जाता है जिसे ही हम लिपि के नाम से जानते हैं। किसी भी भाषा को विशेष बनाने के लिए हम लिपि का उपयोग करते हैं।
पंजाबी भाषा की लिपि गुरमुखी लिपि है। इसी लिपि का उपयोग करके पंजाबी भाषा लिखा जाता है। पंजाबी भाषा की मुख्य धार्मिक किताब भी गुरमुखी लिपि में लिखी गई है इसलिए उसे गुरबाणी कहा जाता है।
इसके साथ गुरुमुखी लिपि का आधार लोहांडा लिपि है। और पंजाबी भाषा के सभी शब्द एवं वर्ण लोहांडा लिपि से ही बनाए गए हैं। गुरमुखी लिपि देवनागरी लिपि से प्रभावित है।
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गुरुमुखी लिपि का क्या अर्थ है? (What is meant by Gurmukhi Lipi?)
गुरुमुखी, जोकि पंजाबी भाषा की लिपि है, का अर्थ गुरु के मुख से निकली हुई। प्रोफेसर प्यारा सिंह पदम का मानना है कि, इसका अर्थ प्राचीन समय में किसी उद्देश्य के आधार पर बनाया गया होगा क्योंकि लिपि का वाणी से कोई संबंध नहीं होता है।
ऐसा इसलिए कहा गया है क्योंकि लिपि एक लिखावट है और लिपि को बोला नहीं जाता है। लिपि के द्वारा जो भाषा लिखी जाती है हम उस भाषा को बोलते हैं इसलिए भाषा का संबंध वाणी से होता है।
गुरुमुखी लिपि में कितने वर्ण हैं? (How many alphabets are there in Gurumukhi Lipi?)
गुरुमुखी लिपि में कुल 35 स्वर और 32 व्यंजन होते हैं। जिसमें से पहले तीन वर्ण महत्वपूर्ण है क्योंकि वह स्वर वर्ण ऊपर आधारित हैं। गुरमुखी लिपि में व अक्षर तक की वर्णमाला देवनागरी लिपि के तरह होती है और उसके बाद की वर्णमाला अन्य स्वरों से मिलाकर बना लिए जाते हैं।
गुरुमुखी लिपि की वर्णमाला में संयुक्त अक्षर नहीं होते हैं लेकिन कई संयुक्त ध्वनियां होती हैं। गुरमुखी वर्णमाला को समझने के लिए आप नीचे दिए गए टेबल को देख सकते हैं।
नाम | उच्चारण | नाम | उच्चारण | नाम | उच्चारण | नाम | उच्चारण | नाम | उच्चारण | |||||
ੳ | ऊड़ा | उ | ਅ | एैड़ा | आ | ੲ | ईड़ी | ਸ | सस्सा | स | ਹ | हाहा | ह | |
ਕ | कक्का | क | ਖ | खक्खा | ख | ਗ | गग्गा | ग | ਘ | कह्ग्गा (घग्गा) | घ | ਙ | ङंङा | ङ |
ਚ | चच्चा | च | ਛ | छच्छा | छ | ਜ | जज्जा | ज | ਝ | चह्ज्जा (झज्जा) | झ | ਞ | ञईया | ञ |
ਟ | टैंका | ट | ਠ | ठठ्ठा | ठ | ਡ | डड्डा | ड | ਢ | टह्ड्डा (ढड्डा) | ढ | ਣ | णाह्णा (णाहणा) | ण |
ਤ | तत्ता | त | ਥ | थत्था | थ | ਦ | दद्दा | द | ਧ | धद्दा | ध | ਨ | नन्ना | न |
ਪ | पप्पा | प | ਫ | फफ्फा | फ | ਬ | बब्बा | ब | ਭ | पह्ब्बा (भब्बा) | भ | ਮ | मम्मा | म |
ਯ | यईआ/यईया (यय्या) | य | ਰ | रारा | रारा | ਲ | लल्ला | ल | ਵ | वाह्वा(वाहवा) | व | ੜ | राह्ड़ा | ड़ |
गुरुमुखी लिपि का इतिहास (History of Gurmukhi Lipi)
गुरमुखी लिपि की रचना सिखों के दूसरे गुरु द्वारा गुरु अंगद जी ने की थी। पहले गुरुमुखी लिपि का आविष्कार नहीं किया गया था इसके जगह पर लहंडा अक्षर का उपयोग किया जाता था जिसके द्वारा ही पंजाबी भाषा लिखी गई थी। परंतु गुरु अंगद जी द्वारा यह पाया गया कि कई लोग लहंडा में लिखे गए पंजाबी भजनों का गलत मतलब निकाल सकते हैं इसलिए गुरु अंगद जी ने गुरुमुखी लिपि का आविष्कार किया।
गुरु अंगद जी ने कई तरह की लिपियों जैसे- देवनागरी, लहंडा, टकरी और शारदा से कुछ अक्षर उधार लिए और उन्हें अच्छे से तराशा। क्योंकि किसी भी भाषा को लिखने के लिए एक सही एवं पवित्र अक्षर का होना जरूरी है। इन सभी लिपियों को मिलाकर गुरु अंगद जी ने एक नई लिपि का निर्माण किया जिसे ही गुरुमुखी लिपि के नाम से जाना जाता है।
अन्य लिपियों से कुछ अक्षर उधार लेने के अलावा गुरु अंगद जी ने गुरु नानक जी, जो कि सिखों के पहले गुरु हैं, के द्वारा रचित एक्रॉस्टिक के 35 अक्षर भी उधार लिए थे। गुरु नानक जी ने जिन 35 अक्षरों की रचना की थी, उसे पेटी कहा जाता है।
गुरुमुखी लिपि का आविष्कार होने के बाद भी ज्यादातर लोग लहंडा लिपि का ही दैनिक जीवन में उपयोग करते थे। परंतु गुरुमुखी लिपि उनके लिए एक पवित्र लिपि बन गई थी। जिस क्षेत्र में गुरुमुखी लिपि का आविष्कार किया गया था उस क्षेत्र में आज भी सिख धर्म को काफी लोकप्रिय माना जाता है। और वहां पर इसी लिपि का उपयोग किया जाता है।
बाद में अगले 300 वर्षों में गुरुमुखी लिपि में कई बदलाव भी हुए जैसे गुरुमुखी लिपि में अल्पविराम, प्रश्नचिन्ह, विस्मयादिबोधक चिन्ह आदि की भी उपयोग किया जाने लगा। क्योंकि 19वीं शताब्दी में अंग्रेजी भाषा का काफी प्रचार प्रसार होने लगा और इसके कारण इस लिपि में भी कुछ बदलाव करने पड़े।
पंजाबी भाषा का कवि किस को माना जाता है? (Who is the poet of Panjabi Language?)
पंजाबी भाषा का कवि गुरु नानक देव जी को माना जाता है, परंतु इसके पीछे कहानी भी है। सर्वप्रथम पंजाबी भाषा का कवि अगर फरीद को माना गया था और यह कहा गया था कि 16वीं शताब्दी में अगर फरीद ने ही पंजाबी साहित्य को लिखा परंतु एक बात यह भी है कि 16वीं शताब्दी में पंजाबी भाषा का अविष्कार ही नहीं हुआ था इसलिए इसके आधार पर गुरु नानक देव जी को ही पंजाबी भाषा का आदि कवि माना जाता है।
गुरु नानक देव जी ने ही पंजाबी साहित्य का आदि ग्रंथ लिखा है जिसमें 7 गुरु और 16 भक्तों की वाणी शामिल है। इस आदि ग्रंथ में कुल पदों की संख्या 3384 है। और इस ग्रंथ में कम से कम 350 से 450 पद पंजाबी भाषा में ही लिखे हुए हैं।
निष्कर्ष (Conclusion)
आज के इस लेख में हमने आपको बताया कि punjabi bhasha ki lipi kya hai? उम्मीद है कि आपको गुरमुखी लिपि से संबंधित जानकारियां मिल पाई होंगी। यदि आपको इस लेख से संबंधित कोई प्रश्न पूछना हो तो आप हमें कमेंट कर के पूछ सकते हैं।
FAQ
प्रश्न – पंजाबी लिपि किसने लिखी है?
उत्तर – पंजाबी भाषा की गुरुमुखी लिपि के निर्माता गुरु अंगद जी, जो सिखों के दूसरे गुरु माने जाते हैं, हैं। और इन्हीं के नाम पर इस लिपि का नाम रखा गया है।
प्रश्न – पंजाबी भाषा की लिपि का नाम क्या है?
उत्तर – पंजाबी भाषा की लिपि का नाम गुरमुखी लिपि है।
प्रश्न – पंजाब की उपभाषा कौन सी है?
उत्तर -पंजाब की उपभाषा पंजाबी, लहंब्रा और डोगरी है।